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Togglebest What do you understand by an offence?अपराध से आपका समझते हैं?
What do yon understand by an offence? Define and distinguish between the following- Bailable and non-bailable offence Cognizable and non-cognizable offence Full Summons cases and warrant cases. Compoundable and non-compoundable offence Discharge and acquittal.
What do you understand by an offence
What do you understand by an offence? अपराध की परिभाषा (Definition of offence)- दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (ढ) के अनुसार, “अपराध से कोई ऐसा कार्य या कार्य लोप अभिप्रेत है जो तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा दण्डनीय बना दिया गया हो और इसके अन्तर्गत कोई ऐसा कार्य भी है जिसके आरे में पशु अहिवार अधिनियम, 1871 की धारा 20 के अधीन परिवाद किया जा सकता है।” अपराध शब्द को विशद परिभाषा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 44 में की गयी है। What do you understand by an offence? यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी एवं बच्यों के पालन-पोषण में असावधानी करता है तो वह उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार अपराधी नहीं कहा जा सकता है। अतः यदि कोई मजिस्ट्रेट यह आदेश करता है कि कोई व्यक्ति अपने बच्चों एवं पत्नी के लिए कुछ धन प्रदान करे तो इस प्रकार की भूति (Finding) को अपराध के लिए दण्डित नहीं किया जा सकता है। अपराध शब्द मौलिक fufit (Substantive Law) का अंग है। What do you understand by an offence? (i) जमानतीय अपराध (Bailable offence) जमानत की दृष्टि से अपराध को दो भागों में बाँटा गया है. (1) जमानती अपराध (2) अजमानती अपराध। दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2(क) के अनुसार, जमानती अपराध से आशय उस अपराध से है जो ऐसी तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा जमानतीय बताया गया है। जो अपराध जमानतीय बताया गया है उसमें अभियुक्त की जमानत स्वीकार करना पुलिस अधिकारी एवं न्यायालय का कर्तव्य है। उदाहरण-किसी स्त्री की लज्जाभंग करना, मानहानि करना, किसी व्यक्ति को स्वेच्छापूर्वक साधारण चोट पहुँचाना, उसे सदोष रूप से अवरोधित अथवा परिरोधित करना आदि जमानतीय अपराध है। गैर-जमानती अपराध (Non-bailable offence)- दण्ड प्रक्रिया संहिता में गैर-जमानतीय अपराध की परिभाषा नहीं दी गयी है अतः हम कह सकते हैं कि ऐसा अपराध जो जमानतीय नाहीं है एवं जिसे प्रथम अनुसूची में अजमानतीय अपराध के रूप में अंकित किया गया है वह गैर- जमानतीय अपराध है। What do you understand by an offence गैर-जमानतीय अपराध (Non-bailable offence) की मंशा यह नहीं होती कि अभियुक्त व्यक्ति किसी भी स्थिति में जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है। धारा 437(1) के अनुसार, जब कोई व्यक्ति, जिस पर गैर जमानतीय अपराध का अभियोग है, या जिस पर यह सन्देह है कि उसने गैर-जमानतीय अपराध किया है, पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी द्वारा वारण्ट के बिना गिरफ्तार या निरुद्ध किया जा सकता है या उच्च न्यायालय अथवा सेशन न्यायालय से भिन्न न्यायालय के समक्ष हाजिर होता है या लाया जाता है तब वह जमानत पर छोड़ा जा सकता है, किन्तु यदि यह विश्वास करने के लिए उचित आधार प्रतीत होते हैं कि वह मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दोषी है, तो वह ऐसे नहीं छोड़ा जायेगा। परन्तु न्यायालय निर्देश दे सकता है कि कोई व्यक्ति, जो सोलह वर्ष से कम आयु का है या कोई स्त्री या कोई रोगों या शिथिलाँग व्यक्ति, जो ऐसे अपराध का अभियुक्त है, जमानत पर छोड़ दिया जाये। जमानतीय अपराध गम्भीर अपराध नहीं होते हैं, जबकि गैर-जमानतीय अपराध बहुत गम्भीर होते हैं, जैसे-हत्या, डकैती, बलात्कार।(ii) संज्ञेय एवं असंज्ञेय अपराध (Cognizable and non-cognizable offences)-
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (ग) के अनुसार, संज्ञेय अपराध से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसमें पुलिस अधिकारी अपराधी को प्रथम अनुसूची के या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अनुसार वारण्ट के बिना गिरफ्तार कर सकता है। What do you understand by an offence? किसी अपराधों को कैद में रखने का मुख्य उद्देश्य यह है जिससे कि वह विधि द्वारा प्रदत्त दण्ड को स्वीकार करने के लिए प्रस्तुत हो सके। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु कुछ ऐसी परिस्थितियाँ होती हैं जिनमें कि न्यायालय को जमानत पर मोचन का स्वविवेकाधिकार (Discretionary power) दिया गया है। ये परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं- What do you understand by an offence? (1) आरोप की प्रवृत्ति एवं गहनता; (2) दण्ड की कठोरता एवं उसकी सीमा जहाँ तक दिया जा सके। (3) अपराधी को जमानत पर छोड़ने से उसके भाग जाने का खतरा; (4) उसका चरित्र; (5) सामाजिक स्तर; (6) अपराध के दुबारा किये जाने का खतरा, (7) साक्षियों को तोडने का खतरा; (8) अपराधी के बचाव की तैयारी का अवसर । दण्ड प्रक्रिया संहिता की प्रथम अनुसूची में यह स्पष्ट किया गया है कि कौन-कौन अपराध संज्ञेय (Cognizable) होते हैं। ऐसे अपराधों में समय का घड़ा ही महत्व होता है तथा जाँच शीघ्रातिशीघ्र हो जानी चाहिए क्योंकि ऐसा अपराध करने वाला व्यक्ति जिसने अपराध किया है उस अपराध को पूर्णतया छिपाने का प्रयत्न करता है एवं यह भी प्रयत्न करता है कि अपराध का सारा सबूत नष्ट हो जाये। ऐसे अपराधों की सूचना जैसे हो पुलिस को प्राप्त होती है वह उस अपराधों को अतिशीघ्र पकड़ने का प्रयत्न करती है तथा मजिस्ट्रेट द्वारा कैद किये जाने का आदेश प्राप्त करने की प्रतीक्षा नहीं करती है अर्थात् बिना वारण्ट के ही गिरफ्तार कर सकती है। What do you understand by an offence? दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (ठ) के अनुसार, असंज्ञेय अपराध (Non-cogniable case) का आशय है-ऐसा मामला जिसमें पुलिस अधिकारी बिना वारण्ट के गिरफ्तार करने का कोई अधिकार नहीं रखता है। असंज्ञेय मामले में पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट की पूर्व आज्ञा के बिना जाँच आरम्भ नहीं कर सकता ये मामले छोटे अपराधों से सम्बन्धित होते हैं तथा समाज को जो क्षति की जाती है वह अपेक्षाकृत कम होती है। वह व्यक्ति जो अपराध द्वारा क्षतिग्रस्त हुआ है मजिस्ट्रेट के सामने अपराधकर्ता की शिकायत करके उस पर कार्यवाही कराने के लिये स्वतन्त्र है। संज्ञेय एवं असंज्ञेय अपराधों में अन्तर (Distinction between cognizable and non- cognizable offence)- संज्ञेय अपराध एवं असंज्ञेय अपराधों में निम्नलिखित अन्तर पाया जाता है- What do you understand by an offence?क्रमांक | संज्ञेय अपराध | असंज्ञेय अपराध |
1 | संज्ञेय अपराध गम्भीर एवं संगीन प्रकृति के होते हैं। | असंज्ञेय अपराध सामान्य प्रकृति के होते हैं। |
2 | संज्ञेय मामलों में पुलिस अभियुक्त को बिना बारण्ट के गिरफ्तार कर सकती है। | असंज्ञेय अपराध में पुलिस बिना वारण्ट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है। |
3 | पुलिस अधिकारी बिना किसी आदेश के अन्वेषण प्रारम्भ कर सकता है। | असंज्ञेय अपराध में पुलिस बिना आदेश के अन्वेषण प्रारम्भ नहीं कर सकती है। |
4 | संज्ञेय मामलों में कार्यवाही करने के लिए परिवाद की आवश्यकता नहीं होती है। | असंज्ञेय मामलों में कार्यवाही का प्रारम्भ परिवाद से होता है। |
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