proclamation for person absconding फरार व्यक्ति के लिये उद्घोषणा

 proclamation for person absconding

 

 

proclamation for person absconding फरार व्यक्ति के सम्बन्ध में उद्घोषणा एवं कुर्की सम्बन्धी दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों की विवेचना कीजिए।

Discuss the provisions of the Code of Criminal Procedure relating to proclamation and attachment of a person absconding.

उत्तर-फरार व्यक्ति के लिये उद्घोषणा (Proclamation for a person absconding)-

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के अनुसार, यदि किसी न्यायालय को (चाहे साक्ष्य लेने के पश्चात् या लिये बिना) यह विश्वास करने का कारण है कि कोई व्यक्ति जिसके विरुद्ध उसने वारण्ट जारी किया है, फरार हो गया है या अपने आपको छिपा रहा है जिससे ऐसे वारण्ट का निष्पादन नहीं किया जा सकता तो ऐसा न्यायालय उससे यह अपेक्षा करने वाली लिखित उ‌द्घोषणा प्रकाशित कर सकता है कि वह व्यक्ति विनिर्दिष्ट स्थान में और निर्दिष्ट समय पर जो उस उद्घोषणा के प्रकाशन की तारीख से कम से कम तीस दिन पश्चात् होगा, हाजिर हो। इस धारा को उद्घोषणा निम्नलिखित रूप से प्रकाशित की जाती है-

  • वह उस नगर या ग्राम के किसी सहज दृश्य स्थान में सार्वजनिक रूप से पढ़ी जायेगी जिसमें ऐसा व्यक्ति मामूली तौर पर निवास करता है।

(ख) वह उस गृह या निवास स्थान के किसी सहज दृश्य भाग पर या ऐसे नगर या ग्राम के किसी सहज दृश्य स्थान पर लगाई जायेगी जिसमें ऐसा व्यक्ति मामूली तौर पर निवास करता है।

(ग) उसको एक प्रति उस न्याय सदन के किसी सहज दृश्य भाग पर लगाई जायेगी जिसक द्वारा घोषणा प्रकाशित की गई है।

proclamation for person absconding उद्‌घोषणा जारी करने वाले न्यायालय द्वारा यह लिखित कथन कि उ‌द्घोषणा निर्धारित दिन को निर्धारित रीति से प्रकाशित कर दी गई है इस बात का निश्चयात्मक साक्ष्य होगा कि इस धारा की अपेक्षाओं का अनुपालन कर दिया गया है और उ‌द्घोषणा उस दिन प्रकाशित कर दी गई थी।

एम. एम. आर. गुण्डप्पा बनाम कर्नाटक राज्य, 1977 MLJ (R) 159 के मामले में न्याया लय द्वारा अवधारित किया गया कि जहाँ कोई व्यक्ति समन जारी होने के पूर्व ही भारत छोड़ देता है तो यह नहीं कहा जा सकता है कि वह न्यायिक प्रक्रिया से बचने के लिए भागा है। अतः ऐसी दशा में उक्त व्यक्ति के विरुद्ध की गयी उद्घोषणा सम्बन्धी कार्यवाही अपास्त किये जाने योग्य होगी तथा इसके पश्चात् अपनाई गयी उत्तरवर्ती कार्यवाही भी अपवस्त होगी।

गोपाल देव बनाम त्रिपुरा राज्य, 1983 Gauhati LJ 451 के मामले में अवधारित किय गया कि कुर्की तथा उद्घोषणा की कार्यवाही तब तक नहीं की जा सकती है जब तक कि वारष्फ का प्रभाव निष्फल न हो गया हो। इसीलिए उ‌द्घोषणा जारी करने के पूर्व मजिस्ट्रेट मामले के साक्ष्यों के आधार पर स्वयं की सन्तुष्टि कर लेगा कि क्या वारण्ट का निष्पादन वास्तव निष्प्रभावी हो गया है और केवल इसके बाद ही उ‌द्घोषणा जारी करेगा।

कुर्की का आदेश (Order for attachment) दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 83 के अनुसार, धारा 82 के अधीन उद्घोषणा (Proclamation) जारी करने वाला न्यायालय, उन कारणों से जो लिखे जायेंगे उ‌द्घोषणा जारी करने के पश्चात् किसी भी समय उ‌द्घोषित व्यक्ति की चल या अचल अथवा दोनों प्रकार की या किसी भी सम्पत्ति की कुर्की का आदेश दे सकता है, परन्तु यदि उद्घोषणा जारी करते समय न्यायालय का शपथ पत्र द्वारा या अन्यथा किसी प्रकार से यह समाधान हो जाता है कि वह व्यक्ति जिसके सम्बन्ध में उद्घोषणा निकाली जानी है-

(क) अपनी समस्त सम्पत्ति या उसके किसी भाग को विक्रय करने वाला है; अथवा

(ख) अपनी समस्त सम्पत्ति या उसके किसी भाग को उस न्यायालय की स्थानीय अधिकारिता से हटाने वाला है,

तो वह उ‌द्घोषणा जारी करने के साथ ही कुर्की का आदेश दे सकता है। ऐसा आदेश उस जिले में जिसमें वह दिया गया है, उस व्यक्ति की किसी भी सम्पत्ति की कुर्की किये जाने का अधिकार प्रदान करेगा एवं उस जिले के बाहर की उस व्यक्ति की किसी सम्पत्ति की कुर्की करने को प्राधिकृत करेगा जब वह उस जिला मजिस्ट्रेट द्वारा, पृष्ठांकित कर दिया जाये जिसके जिले में ऐसे सत्ति स्थित है।

proclamation for person absconding यदि वह सम्पत्ति जिसको कुर्क करने का आदेश दिया गया है ऋण या अन्य जंगम सम्पति हो, तो इस धारा के अधीन कुर्की-

(1) अभिग्रहण (Seizure) द्वारा की जायेगी,  proclamation for person absconding

(2) रिसीवर की नियुक्ति द्वारा की जायेगी, अथवा

(3) उद्‌घोषित व्यक्ति को या उसके निमित्त किसी को भी उस सम्पत्ति का परिदान करने का प्रतिषेध करने वाले लिखित आदेश द्वारा की जायेगी। अथवा

(4) इन रोतियों में सब या किन्हीं दो से की जायेगी, जैसा न्यायालय ठीक समझे। proclamation for person absconding

यदि वह सम्पत्ति जिसको कुर्क करने का आदेश दिया है स्थावर है तो इस धारा के अधीन कुर्की राज्य सरकार को राजस्व देने वाली भूमि को दशा में उस जिले के कलेक्टर के माध्यम से की जायेगी जिसमें वह भूमि स्थित है और अन्य सभी दशाओं में-

(1) कब्जा लेकर की जायेगी, या

(ii) रिसीवर की नियुक्ति द्वारा की जायेगी: या

(iii) उ‌द्घोषित व्यक्ति को या उसके निर्मित किसी को भी सम्पत्ति का किराया देने या उस सम्पत्ति का परिदान करने का प्रतिषेध करने वाले लिखित आदेश द्वारा की जायेगी, या

(iv) इन रीतियों में से सब या किन्हीं दो से की जायेगी जैसा कि न्यायालय ठीक समझे।

यदि वह सम्पत्ति जिसको कुर्क करने का आदेश दिया गया है, जीवधन है; या नश्वर प्रकृति को है, तो यदि न्यायालय समीचीन समझता है तो वह उसके तुरन्त विक्रय का आदेश दे सकता है और ऐसी दशा में विक्रय के आगम (Proceeds of the sale) न्यायालय के आदेश के अधीन रहेंगे।

कुर्की के बारे में दावे और आपत्तियाँ (Claims and objections to attachment)-दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 84 के अनुसार, यदि धारा 83 के अन्तर्गत कुर्क की गई किसी सम्पत्ति के बारे में उस कुर्की की तारीख के छ: माह के अन्दर कोई व्यक्ति जो उद्घोषित व्यक्ति न हो, इस आधार पर दावे या उसके कुर्क किये जाने पर आपत्ति करे कि दाबेदार या आपत्तिकर्ता का उस सम्पत्ति में कोई हित है और ऐसा हित धारा 83 के अन्तर्गत कुर्क नहीं किया जा सकता तो उस दावे या आक्षेप की जाँच की जायेगी और उसे पूर्णतः या भागतः मंजूर या नामंजूर किया जा सकता है, परन्तु इस उपधारा द्वारा अनुज्ञात (allowed) अवधि के अन्दर किये गये किसी दावे या आपत्ति को दावेदार या आपत्तिकर्ता की मृत्यु हो जाने की दशा में उसके विधिक प्रतिनिधि (Legal representative) द्वारा चालू रखा जा सकता है। proclamation for person absconding

धारा 84 की उपधारा (1) के अधीन दावे या आपत्तियाँ उस न्यायालय में जिसके द्वारा कुर्की का आदेश जारी किया गया है, या यदि दावा या आपत्ति ऐसी सम्पत्ति के बारे में है, जो धारा 83 की उपधारा (2) के अन्तर्गत पृष्ठांकित आदेश के अधीन कुर्क की गई है, तो उस जिले के, जिसमें कुर्की की जाती है, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में की जा सकती है। प्रत्येक ऐसे दावे या आपति की जाँच उस न्यायालय द्वारा की जायेगी जिसमें वह किया गया, या की गई है, परन्तु यदि वह दावा या आपत्ति मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में किया गया, या की गई है तो वह उस निपटारे के लिए अपने अधीनस्थ किसी मजिस्ट्रेट को दे सकता है।

कोई व्यक्ति, जिसके दावे या आपत्ति को उपधारा (1) के अन्तर्गत आदेश द्वारा पूर्णतः या भागतः नामंजूर का दिया गया है, ऐसे आदेश की तारीख से एक वर्ष की अवधि के अन्दर उस अधिकार को सिद्ध करने के लिए जिसका दावा वह विवादग्रस्त सम्पत्ति के बारे में करता है, वाद संस्थित कर सकता है, किन्तु वह आदेश ऐसे वाद के, यदि कोई हो, तो परिणाम के अधीन रहते हुए निश्चायक होगा।proclamation for person absconding

कुर्क की हुई सम्पत्ति को निर्मुक्त करना, विक्रय एवं वापस करना (Release, sale and restoration of attached property) – दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 85 के अनुसार, यदि उ‌द्घोषित व्यक्ति (Proclaimed person) उद्घोषणा (Proclamation) में विनिर्दिष्ट समय के अन्दर हाजिर हो जाता है तो न्यायालय सम्पत्ति को कुर्की से निर्मुक्त करने का आदेश देगा। यदि उ‌द्घोषित व्यक्ति उ‌द्घोषणा में विनिर्दिष्ट समय के अन्दर हाजिर नहीं होता है तो कुर्क सम्पति राज्य सरकार के व्ययनाधीन (Disposal) रहेगी और उसका विक्रय कुर्की की तारीख से छः मास या अवसान हो जाने पर तथा धारा 84 के अधीन किये गये किसी दावे या आपत्ति का उस धारा के अधीन निपटारा हो जाने पर ही किया जा सकता है, किन्तु यदि वह शीघ्रतया और प्रकृत्याक्षयशीत है या न्यायालय के विचार में विक्रय करना स्वामी के फायदे के लिए होगा तो इन दोनों दशाओं में से किसी में भी न्यायालय, जब कभी ठीक समझे उसका विक्रय करा सकता है। proclamation for person absconding

यदि कुर्की की तारीख से दो वर्ष के अन्दर कोई व्यक्ति, जिसकी सम्पत्ति उपर्युक्त उपबन्धों अनुसार राज्य सरकार के व्ययनाधीन है, या रही है उस न्यायालय के समक्ष जिसके आदेश से सम्पत्ति कुर्क की गई थी या उस न्यायालय के समक्ष जिसमें ऐसा न्यायालय अधीनस्थ है स्वेच्छा हाजिर हो जाता है या पकड़ कर लाया जाता है और उस न्यायालय को समाधानप्रद रूप में साबित कर देता है कि वह वारण्ट के निष्पादन से बचने के प्रयोजन से फरार नहीं हुआ था, क नहीं छिपा था और यह कि उसे उद्घोषणा की ऐसी सूचना नहीं मिली थी जिससे वह उसमें विनिर्दिष्ट समय के अन्दर हाजिर हो सकता तो ऐसी सम्पत्ति का, यदि वह विक्रय कर दी गई है तो विक्रय के शुद्ध आगमों और अवशिष्ट सम्पत्ति का उसे परिंदान कर दिया जायेगा एवं उसमें से कुर्की के परिणामस्वरूप उपगत सब खर्चों को चुका दिया जायेगा। proclamation for person absconding

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