Cognizable offense वारण्ट के बिना पुलिस कब गिरफ्तार कर सकेगी

Cognizable offense वारण्ट के बिना पुलिस कब गिरफ्तार कर सकेगी

Cognizable offense कब एक पुलिस अधिकारी बिना मजिस्ट्रेट के आदेश और बिना वारण्ट के एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है ?

When can a Police Officer arrest a person without an order from a Magis- trate and without warrant ?

उत्तर-वारण्ट के बिना पुलिस कब गिरफ्तार कर सकेगी ?

(When can police arrest without wafrant?) दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 41(1) के अनुसार, कोई पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और वारण्ट के बिना किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकेगा-

(क) जो पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में संज्ञेय अपराध करता है;

(ख) जिसके विरुद्ध कोई उचित परिवाद किया गया है, या विश्वसनीय सूचना प्राप्त की गई है, या यह युक्तियुक्त सन्देह विद्यमान है कि उसने ऐसी अवधि के कारावास से, दण्डनीय संज्ञेय अपराध कारित किया है, जो सात वर्ष से कम है या जो सात वर्ष तक की हो सकती है, चाहे जुर्माना सहित हो या रहित हो, यदि निम्न शर्तों का समाधान कर दिया जाता है, अर्थात्- Cognizable offense

(i) पुलिस अधिकारी का ऐसे परिवाद, सूचना या सन्देह के आधार पर यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसे व्यक्ति ने उक्त अपराध किया है;

(ii) पुलिस अधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी गिरफ्तारी निम्न प्रयोजनों के लिये आवश्यक है-

(क) ऐसे व्यक्ति को कोई अग्रेतर अपराध रोकने के लिये।

(ख) अपराध का उचित अन्वेषण करने के लिये,

(ग) ऐसे व्यक्ति को अपराध के साक्ष्य को मिटाने या ऐसे साक्ष्य में किसी प्रकार से छेड़‌छाड़ करने के निवारण के लिये, या

(घ) ऐसे व्यक्ति को मामले के तथ्यों से परिचित किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने, धमकी देने या वचन देने से निवारण करने के लिये ताकि उसे न्यायालय या पुलिस अधिकारी के समक्ष ऐसे तथ्य को प्रकट करने से विमुख किया जा सके, या Cognizable offense

(ड) क्योंकि जब तक ऐसा व्यक्ति गिरफ्तार नहीं किया जाता है, उसको न्यायलय में उपस्थिति, जब कभी अपेक्षित हो, सुनिश्चित नहीं की जा सकती है; और पुलिस अधिकारी ऐसी गिरफ्तारी करने के दौरान लिखित में अपने कारणों को लेखबद्ध करेगा :

परन्तु कोई पुलिस अधिकारी ऐसे सभी मामलों में जिसमें किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी इस उपधारा के अधीन अपेक्षित नहीं है, गिरफ्तारी न करने के कारणों को लिखित रूप से अभिलिखित करेगा।

( खक) जिसके विरुद्ध यह विश्वसनीय सूचना प्राप्त की गई है कि उसने ऐसा संज्ञेय अपराध कारित किया है, जो ऐसी अवधि के कारावास से दण्डनीय है जो सात वर्ष से अधिक कुर्माना सहित या रहित या मृत्युदण्ड तक हो सकती है, और पुलिस अधिकारी ऐसी सूचना के आधार पर यह विश्वास करने का कारण कि ऐसे व्यक्ति ने उक्त अपराध कारित किया है।

(ग) को या तो इस संहिता के अधीन या राज्य सरकार के आदेश द्वारा अपराधी उ‌द्घोषित किया जा चुका हो; अथवा

(घ) जिसके कब्जे में कोई ऐसी चीज पायी जाये जिसका चुराई हुई सम्पत्ति होने का उचित रूप से सन्देह किया जा सकता हो और जिस पर ऐसी चीज के बारे में अपराध करने का उचित रूप से सन्देह किया जा सकता हो;  Cognizable offense

(ङ) जो पुलिस अधिकारी को उस समय बाधित करे जब वह अपने कर्तव्य का निष्पादन कर रहा हो या जो विधिपूर्ण अभिरक्षा से निकल भागा हो या निकल भागने का प्रयत्न करे, अथवा

(च) जिस पर संघ के सशस्त्र बलों में से किसी से अभित्याजक होने का उचित सन्देह हो अथवा

(छ) जो भारत से बाहर किसी स्थान में किसी ऐसे कार्य के किये जाने से, जो यदि भारत में किया गया होता तो अपराध के रूप में दण्डनीय होता और जिसके लिए वह प्रत्यर्पण सम्बन्धी किसी विधि के अधीन या अन्यथा भारत में पकड़े जाने का या अभिरक्षा में निरुद्ध किये जाने का भागी है, सम्बद्ध रह चुका है या जिसके विरुद्ध इस बारे में उचित परिवाद किया जा चुका है: या विश्वसनीय इत्तिला प्राप्त हो चुकी है या उचित सन्देह विद्यमान है कि वह ऐसे सम्बद्ध रह चुका है, अथवा

(ज) छोड़ा गया सिद्ध दोष होने पर धारा 356 की उपधारा (5) के अधीन बनाये गए किसी नियम को भंग करे, Cognizable offense

(झ) जिसकी गिरफ्तारी के लिए किसी अन्य पुलिस अधिकारी से लिखित या मौखिक अध्यपेक्षा (Requisition) प्राप्त हो चुकी है, परन्तु यह तब जबकि अध्यपेक्षा में उस व्यक्ति का जिसे गिरफ्तार किया जाना हो, और उस अपराध का या अन्य कारण का जिसके लिए गिरफ्तारी की जानी हो, विनिर्देश हो और उससे यह दर्शित हो कि अध्यपेक्षा जारी करने वाले अधिकारी द्वारा वारण्ट के बिना वह व्यक्ति विधिपूर्वक गिरफ्तार किया जा सकता था।

धारा 41(2) में यह उपबन्धित किया गया है कि धारा 42 के प्रावधानों के अधीन किसी भी व्यक्ति को, जो असंज्ञेय अपराध से सम्बद्ध है या जिसके विरुद्ध परिवाद किया गया है या विश्वसनीय सूचना प्राप्त की गई है या उसके इस प्रकार सम्बद्ध होने का युक्तियुक्त सन्देह विद्यमान है, मजिस्ट्रेट के अधिपत्र या आदेश के सिवाय गिरफ्तार नहीं किया जायेगा।

Cognizable offense यह धारा अपने आप में परिपूर्ण नहीं है। इस अधिनियम के अलावा अन्य बहुत से अधिनियम हैं जो कि इसी प्रकार की शक्ति पुलिस अधिकारी को देते हैं, वे अधिनियम हैं- Arms Act. Explosives Act इत्यादि । Bhawoo Jivaji Vs. Mulji Dayal, (1888), 12 Bom. 377 के मामले में निर्धारित किया गया था कि यदि कोई पुलिस अधिकारी सद्भाविक भूल के अन्तर्गत गलत गिरफ्तारी कर लेता है तो वह संरक्षित है।

नाम और निवास बताने से इन्कार करने पर गिरफ्तारी (Arrest be made on refusal to give name and residence)-

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 42 उन परिस्थितियों का वर्णन करती है जिनमें नाम और निवास बताने से इन्कार करने पर गिरफ्तारी की जा सकती है। धारा 42 के अनुसार, जब कोई व्यक्ति जिसने पुलिस अधिकारी को उपस्थिति में असंज्ञेय अपराध (Non- cognizable offence) किया हो या जिस पर पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में असंज्ञेय अपराध करने का अभियोग लगाया गया हो, उस अधिकारों की माँग पर अपना नाम और निवास बताने से इन्कार करे या ऐसा नाम या निवास बताये जिसके बारे में उस अधिकारी को यह विश्वास करने। का कारण हो कि वह मिथ्या है तब वह ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा इसलिए गिरफ्तार किया जा सकेगा कि उसका नाम और निवास अभिनिश्चित किया जा सके। जब ऐसे व्यक्ति का सही नाम एवं निवास अभिनिश्चित कर लिया जाये तब वह प्रतिभुओं सहित या प्रतिभुओं रहित (With sureties or without sureties) बन्ध-पत्र (Bond) निष्पादित करने पर छोड़ दिया जायेगा कि यदि उससे मजिस्ट्रेट के सामने हाजिर होने की अपेक्षा की जाये तो वह उसके सामने हाजिर होगा, परन्तु यदि ऐसा व्यक्ति भारत का निवासी न हो तो वह बन्ध पत्र भारत में निवासी प्रतिभू या प्रतिभुओं द्वारा प्रतिभूत किया जायेगा। Cognizable offense

ऐसा व्यक्ति जिसका सही नाम एवं निवास निश्चित नहीं किया जा सका है या वह बन्धपत्र निष्पादित करने में असफल रहा है या यदि ऐसा अपेक्षित किये जाने पर पर्याप्त प्रतिभू न दे सके तो वह 24 घण्टों से अधिक थाने में गिरफ्तार नहीं रखा जा सकता है तथा उसे तुरन्त क्षेत्राधिकार रखने वाले निकटतम मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया जायेगा। Cognizable offense

Cognizable offense Gopal Naidu Vs. Emperor, A.I.R. 1923, Nad. 523 के मामले में यह निर्धारित किया गया था कि कोई भी पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को अधिपत्र (Warrant) के बिना उसी समय गिरफ्तार कर सकेगा जबकि उस व्यक्ति ने अपना नाम और निवास बताने से इन्कार कर दिया हो या फिर उसने अपना नाम और निवास गलत बता दिया हो।

उद्देश्य- ऐसी गिरफ्तारी का मुख्य उद्देश्य ऐसे व्यक्ति का नाम और निवास अभिनिश्चित करना है। (किंग बनाम कांगश्वे, AIR 1938, रंगून 161)

 

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